शुक्रवार, 25 जनवरी 2008

नई दिल्ली 24 जनवरी: देश में मोबाइल पर टेलीविजन देखने की लोगों की इच्छा जल्दी ही पूरी होने वाली है. भारतीय दूर संचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने मोबाइल टेलीविजन सेवा से संबंधित मुद्दों पर आज सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को अपनी सिफारिशें सौंप दी.ट्राई ने कहा है कि जिन दूर संचार आपरेटरों के पास सीएमटीएस या यू.ए.एस.एल लाइसेंस हैं उन्हें पहले से आवंटित स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करते हुये अपने नेटवर्क पर मोबाइल टेलीविजन सेवा देने के लिये नये लाइसेंस या अनुमति की जरुरत नहीं होनी चाहिये. प्रसारण प्रणाली से मोबाइल टेलीविजन सेवा देने के लिये अलग लाइसेंस की जरुरत होगी. दूर संचार नियामक ने कहा है कि प्रसारण प्रौद्योगिकी अपनाने का विकल्प आपरेटर पर छोड देना चाहिये. आपरेटर यदि हैंडसेट उपलब्ध कराता है तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि उपभोक्ता उसी प्रौद्योगिकी वाले दूसरे आपरेटर की सेवा लेना चाहे तो वह हैंडसेट बदले बिना ऐसा कर सके.उसने कहा है कि ऐसे लाइसेंस देने के लिये बोलियां आमंति्रत की जानी चाहिये. उसने इस सेवा के लिये 74 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देने की सिफारिश की है. इस सेवा के लिये स्पेक्ट्रम आवंटन के बारे में ट्राई ने कहा है कि दूरदर्शन के अलावा प्रत्येक प्राइवेट मोबाइल टीवी आपरेटर को इस सेवा के लिये आठ मेगाहर्टज का कम से कम एक स्लाट 585 मेगाहट्र्ज से 806 मेगाहर्ट्ज तक यू एचएफ बैंड वी में दिया जा सकता है.Source: Oneindia