मंगलवार, 22 अप्रैल 2008

किसी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई से संबंधित फाइल को रोकना अब महंगा पड़ सकता है। भ्रष्टाचार, सरकारी आदेश की अवहेलना आदि में विभागीय कार्यवाही चलाकर सरकार अपने सेवक के खिलाफ दंड तय करती है। मगर विभागीय कार्यवाही प्रारंभ होने के बाद उसे प्रभावित करने के प्रयास भी शुरू हो जाते हैं। सरकार के संज्ञान में यह बात आई है कि विभागीय कार्रवाई से संबंधित फाइलें वे वजह रोक कर रखी जाती है, इस स्थिति को गंभीरता से लेकर हुए विभागीय सचिवों, प्रमंडलीय आयुक्तों व जिलाधिकारियों को आवश्यक हिदायत दी गई है। कहा गया है कि समयबद्ध तरीके से इस तरह की फाइलों के निपटान की व्यवस्था की जाए। विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया में किसी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा तीन दिन से अधिक का विलंब किया जाता है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। कार्मिक विभाग ने इस सिलसिले में फरवरी 2007 के पत्र का स्मरण दिलाया गया है जिसमें विभागीय कार्रवाई से संबंधित फाइलों के मूवमेंट की मियाद तय की गई है। परिवाद पत्र की प्राप्ति, जांच, स्पष्टीकरण, आरोप पत्र का गठन आदि समयबद्ध तरीके से पूर्ण करते हुए एक साल में सारी प्रक्रिया पूरी कर कार्रवाई सुनिश्चित की जानी है।