गुरुवार, 31 जनवरी 2008

"हम किधर जा रहे हैं" के शीर्षक से सफीदों मे हुई विचार-गोष्ठी मे दिल्ली से आये युवा विचारक अली मोहम्मद फलाही ने अपने विचार यूं प्रकट किये:-

जो धर्म मानवता का सम्मान न कर सके वो धर्म नही, बल्कि एक ढकोसला मात्र है, जो कि लोगो को वरग्लाता है।

उन्होने शायराना अंदाज़ मे कहा कि:-
नही ब्रहामन, नही अछूत
मानव-मानव एक समान
सब हैं, आदम की संतान
काठमांडू। हिमालय की दंतकथाओं में वर्णित हिममानव (येती) के अस्तित्व की खोज में लगे एक अमेरिकी टेलीविजन चैनल ने नेपाल के माउंट एवरेस्ट इलाके में इसके पदचिन्ह खोज निकालने का दावा किया है।टीवी पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम “.डेस्टीनेशन ट्रुथ” के इंफ्रारेड केमरों से लैस नौ निर्माताओं ने हिमालय के खुंबू इलाके में स्थित माउंट एवरेस्ट पर मंजू नदी के किनारे 2,850 मीटर की उंचाई पर येती के पदचिन्ह खोज निकालने का दावा किया है। टीवी कंपनी की ओर से कहा गया है कि कुल तीन पद चिन्ह मिले हैं और इनमें एक पदचिन्ह बुधवार को मिला।माउंट एवरेस्ट पर एक सप्ताह बिताने के बाद लौटने पर खोजकर्ताओं ने कल काठमांडू में यह जानकारी दी। कार्यक्रम के प्रस्तोता जोश होस्ट ने बताया कि पद चिन्हों का आकार एक फुट का है और आकार में ये लगभग एकसमान हैं।श्री होस्ट ने बताया –“मैं विश्वास नहीं कर सकता कि यह किसी भालू के पैरों के निशान हैं यह हमारे लिये अबूझ पहेली की तरह है।” गौरतलब है कि दंतकथाओं में हिमालय के माउंट एवरेस्ट इलाके में हिममानव के मिलने की चर्चायें प्रचलित हैं। इसके अलावा 1920 के बाद माउंट एवरेस्ट पर जाने वाले पर्वतारोहियों द्वारा भी इस तरह के प्रमाण मिलने की बातें कही जाती रही हैं।